कवयित्री रागिनी तिवारी की एक रचना
मां भारती के देश में ये क्या हो रहा है,
लिपटकर शहीदों से तिरंगा रो रहा है।
जान के अनजान बनी कितना ये सहती,
लोगों का हाल बुरा तो मां ये कहती,
चुप हो जाओ सब मेरा लाल सो रहा है।
लिपटकर शहीदो से तिरंगा रो रहा है।.......
देखकर की पत्नी का हुआ कैसा हाल ,
छूटे हैं श्रृंगार सारे बिखरे हुए बाल माथे की बिंदी सिंदूर रो रहा है, लिपटकर शहीदों से तिरंगा रो रहा है।.....
हादसा बड़ा है फिर भी सब है मौन,
इन गलतियों का फिर जिम्मेदार कौन,
दे जवाब सब यह पुकार हो रहा है ,
लिपटकर शहीदों से तिरंगा रो रहा है।.........
वीरता भी जिनके आगे टेकती है माथा
लिख रही हूं उनकी शहादत की गाथा
'स्नेह' की कलम को भी गर्व हो रहा है,
लिपटकर शहीदों से तिरंगा रो रहा है।.......
रागिनी तिवारी ' स्नेह '
जिला प्रतापगढ़ (उत्तर प्रदेश)