गीत

मन मे सवाल है व रक्त में उबाल भी है ,
नया ये समाज आज दे रहा दुहाई है।


रोग है  दहेज प्यारे  करो परहेज तभी,
बचे प्रीति डोर लोग हो रहे कसाई हैं।


फूल सी समूल काया पापियों ने है जलाया,
वचनों की डोर कमजोर होती आई है।


मोमबत्तियों को छोड़ो खून उनका निचोड़ो ,
जिन लोभियों ने प्यारी बेटियाँ जलाई हैं।


   रागिनी तिवारी स्नेह 
  जिला_ प्रतापगढ़